बिहार के देदीप्यमान नक्षत्र पुरुष: डॉ० जगन्नाथ मिश्र

बिहार के सार्वजनिक जीवन को दीर्घकाल तक अपने प्रखर, चुंबकीय एवं सौम्य व्यक्तित्व से प्रभावित करते रहने वाले विलक्षण व्यक्तित्व यशः शेष डाॅ. जगन्नाथ मिश्र, विगत 19 अगस्त 2019 को मिथिला, मैथिल एवं बिहार के समस्त राजनीतिक, बौद्धिक, सांस्कृतिक क्षितिज में एक महान शून्य छोड़कर अपने स्थूल शरीर को त्याग परलोक सिधारि गये। वैसे तो गीता में कहा गया है कि-

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।

न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ।

तथापि आत्मीय जन की सदेह उपस्थिति नहीं रहले से जो एक महाशूण्य और खालीपन की अनुभूति होती है वह रह-रह कर अंतर्मन में एक टीस तो देती ही रहती है। उनकी अनुपस्थिति स्नेही मन को विकल करता रहता है।

‘डॉक्टर साहब’ के स्नेह संबोधन के पर्याय बन चुके आदरणीय डॉक्टर जगन्नाथ मिश्र के महाप्रयाण से संपूर्ण बिहार स्तब्ध रह गया। व्यक्ति जब सदेह नही रह जाते है तब उनके प्रति आम जनों की प्रतिक्रिया, उनकी दुःख कातरता, शोकाकुल मन की विभिन्न प्रकार की अभिव्यक्ति ही यह सिद्ध करता है कि लोक-हृदय में वे कितने अंतर्मन तक समाए हुए थे। उनके दर्शन के लिए उमरे जन सैलाब उनके व्यक्तित्व एवं स्नेह पूर्ण उपस्थिति का प्रमाण प्रस्तुत कर गया। राजनीतिक, सामाजिक जीवन में दीर्घकाल तक बिना किसी पद, उत्कर्ष पर नही रहने के बाद भी, जीवन में विभिन्न प्रकार के झंझावातों से संघर्षरत रहते हुए भी लोक जीवन में उनका एक विशिष्ट प्रभाव सदैव बना रहा। यह उनके व्यक्तित्व की विशेषता थी। डॉ. जगन्नाथ मिश्र के व्यक्तित्व के कई अयाम थे बल्कि यह कहना अधिक उचित होगा कि उनके व्यक्तित्वक का अनेक स्तर था। सभी को एक संक्षिप्त आलेख में समेट पाना कठिन तो है ही न्याय संगत भी नहीं हो सकता। विशेष रूप से मेरे लिए तो और नहीं, क्योंकि उनके साथ जिस आत्मीय स्तर पर मेरा जुड़ाव था वह उनपर लिखने हेतु कलम उठाते ही मुझे भावुक कर देता है, तथापि एक संक्षिप्त प्रयास कर रहा हूँ।…Readmore

बिहार के देदीप्यमान नक्षत्र पुरुष: डॉ० जगन्नाथ मिश्र

बिहार के सार्वजनिक जीवन को दीर्घकाल तक अपने प्रखर, चुंबकीय एवं सौम्य व्यक्तित्व से प्रभावित करते रहने वाले विलक्षण व्यक्तित्व यशः शेष डाॅ. जगन्नाथ मिश्र, विगत 19 अगस्त 2019 को मिथिला, मैथिल एवं बिहार के समस्त राजनीतिक, बौद्धिक, सांस्कृतिक क्षितिज में एक महान शून्य छोड़कर अपने स्थूल शरीर को त्याग परलोक सिधारि गये। वैसे तो गीता में कहा गया है कि-

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।

न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ।

तथापि आत्मीय जन की सदेह उपस्थिति नहीं रहले से जो एक महाशूण्य और खालीपन की अनुभूति होती है वह रह-रह कर अंतर्मन में एक टीस तो देती ही रहती है। उनकी अनुपस्थिति स्नेही मन को विकल करता रहता है।

‘डॉक्टर साहब’ के स्नेह संबोधन के पर्याय बन चुके आदरणीय डॉक्टर जगन्नाथ मिश्र के महाप्रयाण से संपूर्ण बिहार स्तब्ध रह गया। व्यक्ति जब सदेह नही रह जाते है तब उनके प्रति आम जनों की प्रतिक्रिया, उनकी दुःख कातरता, शोकाकुल मन की विभिन्न प्रकार की अभिव्यक्ति ही यह सिद्ध करता है कि लोक-हृदय में वे कितने अंतर्मन तक समाए हुए थे। उनके दर्शन के लिए उमरे जन सैलाब उनके व्यक्तित्व एवं स्नेह पूर्ण उपस्थिति का प्रमाण प्रस्तुत कर गया। राजनीतिक, सामाजिक जीवन में दीर्घकाल तक बिना किसी पद, उत्कर्ष पर नही रहने के बाद भी, जीवन में विभिन्न प्रकार के झंझावातों से संघर्षरत रहते हुए भी लोक जीवन में उनका एक विशिष्ट प्रभाव सदैव बना रहा। यह उनके व्यक्तित्व की विशेषता थी। डॉ. जगन्नाथ मिश्र के व्यक्तित्व के कई अयाम थे बल्कि यह कहना अधिक उचित होगा कि उनके व्यक्तित्वक का अनेक स्तर था। सभी को एक संक्षिप्त आलेख में समेट पाना कठिन तो है ही न्याय संगत भी नहीं हो सकता। विशेष रूप से मेरे लिए तो और नहीं, क्योंकि उनके साथ जिस आत्मीय स्तर पर मेरा जुड़ाव था वह उनपर लिखने हेतु कलम उठाते ही मुझे भावुक कर देता है, तथापि एक संक्षिप्त प्रयास कर रहा हूँ।…Readmore

सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं